सरहद के रखवाले - गीत - रमाकांत सोनी

सरहद के रखवालों को, सीमा के सभी जवानों को, 
आन वतन मिटने वाले, अमर शहीद परवानों को। 
शत शत वंदन, शत-शत वंदन।

जब जब देश पर संकट आया, वीरों ने जान गंवाई,
मातृभूमि की रक्षा ख़ातिर, प्राणों की भेंट चढ़ाई ।
प्राण न्योछावर करने वाले, उन जोशीले दीवानों को।
शत शत वंदन, शत-शत वंदन।

जो तूफाँ से भिड़ जाते हैं, जो गीत वतन के गाते हैं, 
सीमा पर सीना ताने खड़े, जो बारूद से बतियाते है।
भारत भूमि के रणं बांकुरे, देशप्रेम मतवालों को। 
शत शत वंदन, शत-शत वंदन।

उर में ज्वाला जलती है, बाजू भी रोज़ फड़कते हैं, 
हर जाँबाज़ के सीने में, शोले गर्म भड़कते हैं, 
राष्ट्रप्रेम की धारा में, बहते उनके जज़्बातों को। 
शत शत वंदन, शत-शत वंदन।

रग रग में रक्त मचलता है, सीमा पर शीश चढ़ाने को, 
जो आँख दिखाए भारत को, उसे नाकों चने चबाने को,
शीशे अर्पण करने वाले, जोश जज़्बा बलिदानों को। 
शत शत वंदन, शत-शत वंदन।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos