परोपकार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

संवेदनशील भाव
संवेदनाओं के स्वर 
पर उपकार की 
निःस्वार्थ भावना
गैरों की चिंता से जोड़कर
स्वेच्छा से सामने वाले की 
पीड़ा से/मर्म से
खुद को जोड़ने की कोशिश ही
परोपकार है।
बिना लोभ मोह 
अपने पराये के भेद किये बिना
किसी का सहयोग/सहायता ही
तो परोपकार है,
हमारे द्वारा किया गया
परोपकार ही तो 
हमारी खुशियों का बेजोड़
आधार है।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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