नयापन की तलाश - कविता - मधुस्मिता सेनापति

मानव हैं हम
हमें थोड़ा नहीं
कुछ अधिक चाहिए  
रिश्ते अब हो चुके हैं पुरानी
इसमें हमें परिवर्तन चाहिए...!!

आज जो हैं
उसमें बदलाव चाहिए
जो हो गई है पुरानी
उसमें नयापन चाहिए
यह है मानव का जीवन
इसमें नयापन की
भाव होनी चाहिए...!!

घर अब छोटा लगने लगा है
नए- बड़े घर चाहिए
गांव में कोई सुविधा नहीं
हमें शहर में ही रहनी चाहिए...!!

हम आधुनिक समाज के
अत्याधुनिक मानव हैं
हमें संयुक्त परिवार नहीं
एकल परिवार चाहिए...!!

इस नयापन की तलाश में
है मानव, हो सकता है
तुम्हारे मानवता का हनन
सामाजिक भला रखें मद्देनजर
समय से पहले
परिवर्तन कर लो 
अपने विचार का स्तर...!!

क्योंकि, इस नयापन की तलाश में
हे मानव तुम खो रहे हो
अपना अस्तित्व
समय रहती सुधर जाओ
इस भूपृष्ठ पर
प्रस्तुत कर लो अपना महत्व...!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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