हौसला है कायम - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी

गर खुद में है हौसला,
तू तोड़ पत्थर राह अकेला।

मंजिलों में दुश्वारियां हैं
राही तू चल अकेला।

मुश्किलें जो राह मे 
तोड़ देती हौसला,

हिम्मत ही साथी है तेरा,
तू तोड़ पत्थर राह अकेला।

हर दिन नयन मे ख्वाब है,
उसे पूरा कर अकेला। 

राही तू चल अकेला, 
राही तू चल अकेला।

कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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