मुहब्बत - ग़ज़ल - ज़ीशान इटावी

तुझे ये दोस्त अपना फिर पुराना याद आएगा,
तुझे फिर ये मुहब्बत का ज़माना याद आएगा।

तू जितनी कोशिशें करले भुलाने की मुझे लेकिन
तुझे तेरा ये मजनू और दीवाना याद आएगा।

मुझे है प्यार कितना जानने की कोशिशें तेरी,
किसी से गुफ्तगू करके जलाना याद आएगा।

तुम जब भी रूठ जाते थे मेरे हम दम मेरे दिलबर,
मेरा वो प्यार में तुझको मनाना याद आएगा।

कभी जब याद आएगी तुम्हें ज़ीशान की सुनलो,
मेरी आधी हकीकत और फ़साना याद आएगा।

ज़ीशान इटावी - इटावा (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos