कलम - सजल - संजय राजभर "समित"

एक  दीप  है  कलम।। 

अस्त्र शस्त्र है कलम।।


काल का चित्रण कर। 

वर्तमान   है   कलम।।


कागजों    पर  चलता। 

अक्षय कोष है कलम।।


जीवन  सार  लिखता। 

प्रेम  पाग   है  कलम।।


अवाम  को  झकझोर।

इंकलाब   है   कलम।।


ह्रदय  देश  में  झाँक।

नब्ज हाल  है कलम।।


भावों    में   नहाकर।।

सद् कविता है कलम।।


जागरण हेतु 'समित'।।

सदा क्रांति है कलम।।


संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)


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