जाति की खातिर - कविता - नीरज सिंह कर्दम

जाति की खातिर
बचा रहे हैं बलात्कारी को
न्याय कैसे मिलेगा
अपराधी बना रहे हैं पीड़िता को ।

दलित की बेटी, दलित की बेटी
मीडिया रोज चिल्लाती है
गुनाहगारों की जाति बताने से
मीडिया क्यों कतराती हैं ।

वो कौन है ?
क्यों उन्हें सरंक्षण दिया जा रहा है ?
जो बलात्कारियों के पक्ष में उतरा है सड़कों पर,
रोज कई कई गांवों की पंचायत लगा रहा है ।

अपराधी को बचाने में जुटे अब लोग हैं
पंचायत फरमान सुनाती, वो लोग निर्दोष हैं
घर वालों ने ही मारा बेटी को,
बलात्कारी नही वो सब निर्दोष हैं ।

दोषियों को बचाने की कोशिश पूरी है
इंसाफ कैसे मिले, शासन प्रशासन की हां हुजूरी है
लोकतंत्र अब रोता है, कत्लेआम जब होता है
संविधान पर हर प्रहार गहरा होता है ।

नीरज सिंह कर्दम - असावर, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)

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