डॉ. अवधेश कुमार अवध - गुवाहाटी (असम)
नारी को अधिकार मिले - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
बुधवार, अक्तूबर 14, 2020
जब से नारी को नारी का, सम्बल मिलना शुरु हुआ।
वसुधा से उठकर नारी ने, हाथों से छुआ।।
पग - बाधा बनकर नारी ने, नारी को अक्सर रोका।
नारी ने इतिहास रचाया, जब भी उसे मिला मौका।।
आँख खोलकर देख पाँव अंगद- सा जमां जमीं पर है।
और हाथ में सीढ़ी अथवा, सीढ़ी ही दोनों कर है।।
धरती से अम्बर तक नारी, अथवा जग नारीमय है।
अवध नारियों से ही उन्नत,नर - नारी है, किसलय है।।
इसीलिए अब से नारी को, नारी का अधिकार मिले।
पतझड़ से व्याकुल उपवन को, पावस का उपहार मिले।।
मानवता के लिए स्वयं का, अहंकार अर्पण कर दें।
पौरुष के शुभ नवाचार को, मनुज हेतु दर्पण कर दें।।
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