अर्पण मेरा तन मन धन ।
तू दाता है परमपिता है ,
तू ही जीवन और मरन ।
नजरें कभी न फेरो हे! प्रभु ,
इतनी सी फरियाद मेरी ।
भूल चूक सब क्षमा करो प्रभु ,
दुनिया हो आबाद तेरी ।
सारी दुनिया रूठ भी जाये ,
तुम ना रूठो परमपिता ।
सारी दुनिया अगर त्याग दे ,
नही त्यागते मात पिता ।
तेरा धन है तेरा मन है ,
तेरा ही ये तन मेरा ।
तेरा सबकुछ तुम्हें समर्पित ,
क्या लागे इसमें मेरा ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)