हिन्दी का पतन - कविता - अतुल पाठक

जगह जगह अंग्रेजी मीडियम स्कूल की लग गई खूब कतार
हिन्द के देश में हिन्दी के संग हो रहा अत्याचार 

जहाँ देखों नज़र वहीं आता अंग्रेजी संस्थान 
पिछड़ रही है हिन्दी भाषा नहीं हो रहा उत्थान 

क्या यह वही हिन्दुस्तान वतन है
जहाँ पर हिन्दी का हो रहा पतन है

आज अपने ही घर में हिन्दी हो रही पराई है
हिन्दुस्तान में रहने वालों को ही हिन्दी में लगती बुराई है

हिन्दी से हिन्दुस्तान में इस क़दर गर परहेज न होता
तो लाखों की तादाद में बच्चा हिन्दी में ही अनुत्तीर्ण न होता

आज हम लोगों की वजह से हिन्दी की ऐसी दुर्दशा हई है
कि मातृभाषा हिन्दी अपनी ही मातृभूमि पर शर्मिंदा हुई है

विनती करती है हिन्दी मुझको दिल से अपनाओ
हिन्दुस्तान की पहचान अपनी हिन्दी को बनाओ

वरना इक दिन ऐसा भी आएगा
हिन्दुस्तान में हिन्दी का भाव खो जाएगा 

अतुल पाठक - जनपद हाथरस - (उत्तर प्रदेश)

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