अनमोल जीवन - कविता - मधुस्मिता सेनापति

जीवन अनमोल है, इसे व्यर्थ न जाने दीजिए।
अपने लिए न सही परिवार के लिए संभालिए। 

दूसरा कैसा व्यवहार करता है न ख्याल कीजिए।
आप अन्य लोगों से भी, सम व्यवहार कीजिए।   

सत्कर्मों की भी आलोचना करेंगे आप पथ से- विलग ना हो
, निरंतर सन्मार्ग पर चलते रहिए।

अपने धर्म, धैर्य,साहस नहीं खोना है 
पड़ोसी भड़काएंगे, अपने कार्य अनवरत करते रहिए।

भ्रष्ट आचरण बलात्कार रोकें समाज को दिशा- दिखाएं
कुछ खुद उचित मार्ग पर चलते रहिए।

वाद-विवाद न कर सतसंग कर भगवद्भजन,
संस्कार, दिव्य प्रसंगों को अवश्य पढ़ते रहिए।

आस्था, श्रद्धा और विश्वास पर संसार है टिका,
नित्य प्रति प्रभु का, सदा गुणगान करते रहिए।

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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