अपने लिए न सही परिवार के लिए संभालिए।
दूसरा कैसा व्यवहार करता है न ख्याल कीजिए।
आप अन्य लोगों से भी, सम व्यवहार कीजिए।
सत्कर्मों की भी आलोचना करेंगे आप पथ से- विलग ना हो
, निरंतर सन्मार्ग पर चलते रहिए।
अपने धर्म, धैर्य,साहस नहीं खोना है
पड़ोसी भड़काएंगे, अपने कार्य अनवरत करते रहिए।
भ्रष्ट आचरण बलात्कार रोकें समाज को दिशा- दिखाएं
कुछ खुद उचित मार्ग पर चलते रहिए।
वाद-विवाद न कर सतसंग कर भगवद्भजन,
संस्कार, दिव्य प्रसंगों को अवश्य पढ़ते रहिए।
आस्था, श्रद्धा और विश्वास पर संसार है टिका,
नित्य प्रति प्रभु का, सदा गुणगान करते रहिए।
मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)