अधूरी मोहब्बत - कविता - अतुल पाठक

नशा मोहब्बत का कभी न करना
अधूरी रह जाती है मोहब्बत ये सोच लेना

अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ न पूछो
दिल टूट जाता है कभी किसी से दिल न लगाना

अधूरी मोहब्बत का सितम न पूछ अतुल दीवाने से
तन्हा शायर बन जाता है मोहब्बत के पैमाने से 

बड़ी अजीब कश्मकश में डाल देती ये अधूरी मोहब्बत
न जीने देती न मरने देती ये अधूरी मोहब्बत

जिसकी ख़ातिर चढ़ा ये नशा शायरी का
वो मेरी पहली अधूरी थी एकतरफा मोहब्बत

अतुल पाठक - जनपद हाथरस - (उत्तर प्रदेश)

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