ओ जिंदगी - कविता - समुन्दर सिंह पंवार

ओ जिंदगी ।
कभी - कभी मैं सुस्त पड़ा रहता हूँ
और देखता रहता हूँ
पेड़ - पौधों को
और सुनता रहता हूँ
पक्षियों की चह चाहटों को,
और कभी - कभी मैं भागता रहता हूँ
तेरे लिये
आज यहाँ, कल वहाँ ........
मुझे कुछ समझ नहीं आता
कभी - कभी तो मैं
तेरे लिये सपने लेने लगता हुँ
कि तू ऐसी होगी, वैसी होगी
और कभी - कभी तू मुझे 
नीरस लगने लगती है

समुन्दर सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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