ज़माने में मगर इसका हाँ चर्चा भी ज़रूरी था
तभी तो रह सकी है दर्द की तासीर भी ज़िंदा
तुम्हे पाने की चाहत थी तो खोना भी ज़रूरी था
मोहब्बत चाहिए बच्चे को वालिद की मगर फिर भी
फ़क़त हाँ खेलने को ही खिलौना भी ज़रूरी था
ज़माने में ही रह के सीखे हैं अंदाज़ सब इसके
ज़माने से अलग चलने को ऐसा भी ज़रूरी था
मिली हैं वस्ल की रातें मगर इसके लिए गोया
हाँ सदियों हिज्र में मेरा तड़पना भी ज़रूरी था
बलजीत सिंह बेनाम - हाँसी (हरियाणा)