आज का भारत - कविता - बजरंगी लाल यादव


कोई हँस कर दर्द छुपाता है,
कोई रोकर दिल बहलाता है,
कुदरत का करिश्मा है ऐसा,
अन्धा भी राह बताता है।
           कोई दाने दाने को तरस रहा,
           कोई लाखों का शूट चढ़ाता है ,
           कोई पैदल को मजबूर हुआ,
           कोई वायुयान से जाता है|
कोई बाहर भूखा  मरता है,
अन्दर कोई दूध चढ़ाता है,
कोई मानवता को धर्म मान,
सबकी भूख मिटाता है।
           कोई सत्ता की कुर्सी खातिर,
           जनता की बलि चढ़ाता है,
           कोई सेवा भाव करने आए,
          कुछ को राजनीति ही सुझाता है।
जुमलेबाजी करने वाला,
निज कर्तव्यों से कतराता है,
ताली थाली और दिया जला,
जन को गुमराह कराता है।
             कोई ट्रक से दबकर है मरता,
             कोई पैदल जान गँवाता है,
             थक हार बैठ कोई पटरी पर,
             दुःखद मौत पा जाता है।
कोई हँस कर दर्द छुपाता है,
कोई रोकर दिल बहलाता है।

बजरंगी लाल यादव
दीदारगंज आजमगढ़ (उ०प्र०)

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