ईदी ख्वाईशी पैगाम - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

पाक साफ ईदी मना , बाँट खुशी आवाम।
तज नापाकी वैर को , करो वतन सुखधाम।।१।।

मत जोड़ो आतंक से , हो मज़हब बदनाम।
दान मान कुर्बानियाँ , मतलब है इस्लाम।।२।।

पैदाईशी जिस जमीं , हिफ़ाजत मेरा फ़र्ज।
इज़्ज़त बख्सूँ हमवतन , कुर्बानी दूँ कर्ज़।।३।।

इल्मगार औरत मरद , सब मौला औलाद।
ख़ैरमकदमी सोच हो, मददगार फ़ौलाद।।४।।

सबमें हो इन्सानियत , सबमें हो ईमान।
सीख़ अदब़ अल्फ़ाज हो , पूरो हो अरमान।।५।।

खिले चमन खुशियाँ जहां,अमन चैन तकदीर।
नफ़रत शैतानी मिटे , मुल्क बदल तस्वीर।।६।।

एतबार है आपसी , मेल जोल पैगाम।
नेक दिली ईदी मिलन , हो नफ़रत हराम।।७।।

छोड़ो सब दकियानुशी, मज़हब का तकरार।
मददगार इन्सानियत, बरक्कत हो संसार।।८।।

ईद मुबारकबाद दूँ , मिले खुशी अरमान।
तन्दुरुस्त सुख चैन हो , जीएँ हिन्दूस्तान।।९।।

सदा प्रेम सद्भाव हो , सभी रहें खुशहाल।
ईदमुबारक आपको , अमन चैन हर हाल।।१०।।

भेद गरीब अमीर का , छोड़ गले मिल आज।
मदद करें मज़बूर की, हो मज़बूत समाज।।११।।

कवि निकुंज दे तोहफ़ा , मुहब्बती ए शाम।
थूको नफ़रत दहशती , रहें सुकूं अभिराम।।१२।।

अमन चैन स्नेही मिलन, आधारित त्यौहार।
होली या फिर ईद थी, अब बदले व्यवहार।।१३।।

कुर्बानी हर पाप का , मानवता आधार।
रहे अमन समरस मनुज ,ईद होलिका सार।।१४।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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