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विधा/विषय "महबूबा"
महबूबा - गीत - आलोक रंजन इंदौरवी
सोमवार, फ़रवरी 22, 2021
मेरी नज़रों से दिल में उतर जाइए, सूने आँगन को खुशियों से भर जाइए। इश्क़ का ये समंदर है गहरा बहुत, आप इसमें नहाकर सँवर जाइए। रोज़ उठती है…
महबूबा से मुलाकात हो गई - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
शुक्रवार, अक्तूबर 23, 2020
दिन डूब गया स्याह रात हो गई! शहर में आज बरसात हो गई! बारिश ने हवाओं से कुछ कहा, दिल से दिल की बात हो गई! यादों के जब खुले झरोखे, महबूब…