संदेश
विधा/विषय "खुशबू"
मिट्टी की ख़ुश्बू - कविता - मेघना वीरवाल
सोमवार, सितंबर 12, 2022
महका देती है साँसों से गुज़र मिट्टी की ख़ुश्बू रोम-रोम को मेरे भाव विभूर कर देती जब बरखा की एक बूँद का स्पर्श अंदर तक समा लेती है। …
प्यार की खुशबू - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
शुक्रवार, दिसंबर 25, 2020
आइए बाँटते हैं प्यार की खूशबू, ऊँच नीच, छोटे बड़े जाति, धर्म, सम्प्रदाय को भूल सबसे हिलमिल कर रहें सुख दुःख में सहभागी बने निंदा …
फूल से खूशबू कभी जुदा नही होती - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शुक्रवार, जुलाई 24, 2020
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती। पाकीज़गी प्यार की बेखुदा नहीं होती । है अगर कशिशे मोहब्बत रूह की। तो बाखूदा ये गुमशुदा नहीं ह…