संदेश
शायरी - सैयद इंतज़ार अहमद
मोती जैसे शब्द जिन्हें, मैंने सीखा बचपन में, आज इन्हीं ने ताकत दी है,बात कहूँ जो है मन में। ~ कब ऐसा चाहा मैंने कि तुम दिन रात मु…
गुलशन झा की शायरी
मेरे करीब आकर भी उसकी आंखो में जुस्तजू किसी और का था इधर मुन्तजिर मै था कि आंखो से मुझे नशा कराया जाएगा बेखबर था कि उसकी आंखो म…
सैयद इंतज़ार अहमद की शायरी
देह से दूरी है जरूरी, देह से दूरी बना के रखिये, वक़्त बदला है, हालात बदल जाएं,मगर दिलों के बीच की दूरी को न बनने दीजिये। ~~ …
तपन कुमार के शेर
ये सादगी ये बंदगी ये नजाकत ये हँसी , कैसे मान लू की तु हुस्न-ए लाजवाब नहीं सोचा पुछु खुदा से, कैसे तराशा है तुझे ? मैं अदना स…
शफ़ीक़ के शेर
1 कैसे न दे मिसाल कोई मेरे इश्क़ की, उससे बिछड़ के ज़िन्दगी जो बरबाद कर लिया। 2. ख़त में उसके इक अजब सवाल रक्खा था, निशान लब क…
गुलज़ार साहब के मशहूर शेर
आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा कभी तो…