शफ़ीक़ के शेर


1
कैसे न दे मिसाल कोई मेरे इश्क़ की,
उससे बिछड़ के ज़िन्दगी जो बरबाद कर लिया।

2.
ख़त में उसके इक अजब सवाल रक्खा था,
निशान लब के संग उसने गुलाब रक्खा था।

3.
सर रख के मिरे शानों पे बहुत रोने लगी,
जब मेरी बेटी मेरे घर से विदा होने लगी।

4.
कहर क़ुदरत क्या बरपाने लगी,
सभी को याद ख़ुदा की आने लगी।

5.
क्या हैं रिश्ते क्या हैं नाते सब में हमने,
बस वही एक शय जो दौलत हैं मुसल्लत देखी।

6.
सुना है अब वो साहिबे औलाद हो गया,
जिसने क़दर न की कभी मां बाप की।

7.
ज़िक्र रहता हैं ज़ुबां पर तेरा हर दम,
यूं ही होता नही एहसास तेरा हमको।

8.
आदी हो चुके हैं हम ग़मो के इस कदर,
मुंह अपना मोड़ लेते हैं खुशियों को देखकर।

9.
वो ग़रीबों की मदद तो बहुत करता है,
मगर अफ़सोस दिखाने के लिए सब करता हैं।

10.
हमें पता हैं तुम पे क्या गुज़रती हैं शफ़ीक़,
ये बात और हैं कि तुम मुस्कुराते रहते हो।

11.
अपनी यादों को समझाओ वरना,
क़त्ल हो जायेंगी इक दिन वो मेरे हाथों से।

12.
क़ीमत मेरी पता चलेगी तुझे तब ज़िन्दगी,
ले जाएगी जब मौत मुझे तुझसे छीन कर।

13.
जाने क्यूं चांद ये तुम्हें तकता हैं,
कहीं ऐसा तो नहीं तुमसे ये जलता हैं।

14.
जब भी होती हैं तमन्ना उनको छूने की
हाथ रख देते हैं उनकी तस्वीर पे हम।

15.
जाने क्यूं रहती है बेचैन सी तबीयत मेरी,
उनसे फ़ुरक़त कहीं इसकी वजह तो नहीं।


शफ़ीक़

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