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प्रकृति का अनोखा अवतार - कविता - प्रतिभा नायक
भोर भई भानु चढ़ आए नीले अनन्त आकाश पर सूर्य की ललित लालिमा प्रभात गीत गाए गगन पर। चढ़े सूरज सीस पर धूप चुभती चटक सूई सी शूल समान दिनकर…
अरुणिम उषा है खिली-खिली - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
पंखुड़ियों में सिमटी कलियाँ, अरुणिमा उषा है खिली-खिली। मुस्कान सुरभि यौवनागमन, मधुपर्क मधुर नव प्रीति मिली। श्री प्रभा उषा विलसित…
सुबह हो रही है - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
उठो! मेरे आत्मा के सूरज सुबह हो रही है तरु शिखाओं की ऊपरी फुनगियों पर, उतर रही है- उजले सूरज की चंचल धूप कोमल दल पर किरनें, दुब पर टँग…
नई सुबह - कविता - ऋचा तिवारी
ये ज़िंदगी की बात है, तू आज क्यूँ उदास है। क़दम तेरे जो बढ़ चले, तो शोक कैसा आज है। ये वक़्त की ही बात है, काली अँधेरी रात है। ये रात बीत…
स्फूर्ती - आलेख - निशांत सक्सेना "आहान"
हर बार जब आप जागते हैं तो आप एक अलग व्यक्ति होते हैं। नए दिनकर के साथ शरीर स्फूर्ति से परिपूर्ण होता हैं। आलस्य भी विभावरी के साथ उड़नछ…
सुहानी सुबह - बाल कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
नवल प्रात की नई किरण ने, छटा विकट फहराई, दूर हो गया तम तुरंत ही, नई सुबह है आईं। नन्ही नन्ही चिड़ियाँ चहकीं, और चहकते बच्चे, चीं-चीं कर…
सहर - गीत - रमाकांत सोनी
सहर से लेकर शाम तक, गोकुल वृंदावन धाम तक। मुरली मोहन मधुर सुनाते, प्यारी माधव की है झलक।। रवि रथ आया सहर में, नव उर्जा लाया पहर में। अ…