सहर - गीत - रमाकांत सोनी

सहर से लेकर शाम तक,
गोकुल वृंदावन धाम तक।
मुरली मोहन मधुर सुनाते,
प्यारी माधव की है झलक।।

रवि रथ आया सहर में,
नव उर्जा लाया पहर में।
अमृत भी पाया ज़हर में,
मीरा दीवानी इस शहर में।।

तरोताजगी उमंग जगे,
आलस भी सारा दूर भगे।
सहर का आलम ही ऐसा,
आशा का मन में दीप जगे।।

कहीं खिलते फूल बागानों में,
पंछी कलरव खलिहानों में।
भाव सिंधु से मोती बहकर,
सजते गीत ग़ज़ल गानों में।।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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