नवल प्रात की नई किरण ने,
छटा विकट फहराई,
दूर हो गया तम तुरंत ही,
नई सुबह है आईं।
नन्ही नन्ही चिड़ियाँ चहकीं,
और चहकते बच्चे,
चीं-चीं करके दाना माँगे,
सबको लगते अच्छे।
फुदक-फुदक कर प्यारी कोयल,
मीठे स्वर में गाती,
झट उठ जाओ प्यारी गुड़िया,
सही बात समझाती।
कुल्ला मंजन करके गुड़िया,
झट पट नाश्ता खा लो,
हम भी दाना माँग रहे है,
हमको भी तो डालो।
डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)