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विधा/विषय "शीत ऋतु"
शिशिर सुंदरी - कविता - सतीश पंत
मंगलवार, जनवरी 30, 2024
नवल भोर संग धवल कुहासा शिशिर ओढ़ जब आई, वसुंधरा से शैल शिखर तक मेघावली सी छाई। शिशिर सुंदरी रूप मनोहर देख देह सकुचाई, शीत वायु के प्रब…
जाड़े का मौसम - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
शुक्रवार, जनवरी 28, 2022
सबको बहुत लुभाता है जाड़े का मौसम। महल, झोपड़ी, गाँव शहर हो। या फिर दिन के आठ पहर हो।। कभी कभी तो लगता है भाड़े का मौसम। कंबल, स्वेटर …
शीत ऋतु का आगमन - कविता - आशीष कुमार
शुक्रवार, जनवरी 07, 2022
घिरा कोहरा घनघोर गिरी शबनमी ओस की बुँदे, बदन में होने लगी अविरत ठिठुरन। ओझल हुई आँखों से लालिमा सूर्य की, दुपहरी तक भी दुर्लभ हो रही प…
शिशिर ऋतु - कविता - शुचि गुप्ता
सोमवार, दिसंबर 27, 2021
चुम्बन गगन करे धरा, वीणा मधुर बजी, मृदु धूप में निखर नहा, दुल्हन प्रभा सजी। बन मीत प्रेम ऋतु शिशिर, है पालकी लिए, शुभ आगमन अनंग रति, र…
शीत - कविता - नंदिनी लहेजा
बुधवार, नवंबर 03, 2021
हो रही शांत अब तपन धूप की, हवाएँ पंख फहरा रहीं। रवि को है जल्दी वापसी की, निशा, शशि संग इतरा रही। गई वर्षा अपने घर वापस, अब शीतऋतु की …