जाड़े का मौसम - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
शुक्रवार, जनवरी 28, 2022
सबको बहुत
लुभाता है
जाड़े का मौसम।
महल, झोपड़ी,
गाँव शहर हो।
या फिर दिन के
आठ पहर हो।।
कभी कभी
तो लगता है
भाड़े का मौसम।
कंबल, स्वेटर
और रजाई।
ठिठुरन की तो
शामत आई।।
लुटी धूप ने
कहा दिन-
दहाड़े का मौसम।
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