संदेश
हाय रे कोरोना - कविता - अंकुर सिंह
आज मन बड़ा व्याकुल है, कल के चक्कर में आज आकुल हैं। हाय रे कोरोना! हाय रे कोरोना ! तेरे चक्कर में जगत पूरा शोकाकुल है।। पूरे सा…
अच्छा लगता है - कविता - अनुभव मिश्रा
नफा-नुकसान चाहत का ओ अनुभव हम ना कुछ जानें। हमें बस उस कली का मुस्कुराना अच्छा लगता है।। कि जब खिड़की पे वो आए हवा का रुख बदल …
लॉकडाउन से मिलती सीख - कविता - अतुल पाठक
लॉकडाउन ने जीवन को इक आशा की किरण दिखलाई है लॉकडाउन में मानव के धैर्य की परीक्षा की घड़ी आई है लॉकडाउन को गम्भीरता से मानव को ले…
रचनात्मक बने - आलेख - सुषमा दिक्षित शुक्ला
रचनात्मक व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता। वह कभी बोर नहीं होता, क्योंकि वह व्यक्ति अपने अकेलेपन में भी कभी अकेला नहीं होता। शिल्प कला स…
बेशक कोरोना से लोगों के विचारों मे परिवर्तन - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कोरोना ने लोगों को बदल कर रख दिया है जबरदस्त परिवर्तन लाया है ये कोरोना। शायद कुदरत वर्तमान मानवीय प्रणाली को कुछ सिखान…
सुरक्षा लॉक डाउन की पाबंदिया हटाना समय की मांग एवं जरूरत - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सुरक्षा एवं जीवन यापन दोनों ही जीवन जीने के लिए अति आवश्यक है। लाक डाउन लगाना व समय की मांग पर ढीला करना , मानवीय जरूरत के दो ऐसे…
प्रवासी की वापसी - कविता - रुपेश कुमार
यह लॉक डाउन की है मार प्रवासी मजदूरों में मची है हाहाकार रोजी रोटी के छिन जाने से वह बन गए है बेबस और लाचार घर वापस आने को …