प्रवासी की वापसी - कविता - रुपेश कुमार

यह लॉक डाउन की है मार 
प्रवासी मजदूरों में मची है हाहाकार 
रोजी रोटी के छिन जाने से
वह बन गए है  बेबस और लाचार 
घर वापस आने को  है तैयार
सरकार  प्रयास कर रही
उनको वापस बुलाने को
श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही 
अपनों से मिलवाने को
राजनीति भी खूब हो रही
ट्रेन का भाड़ा चुकाने को
लाखों लोग वापस आ रहे हैं
इनकी व्यवस्था करवाने को
सरकारी तंत्र है डटे हुए
अपना कर्तव्य निभाने को
डॉक्टर और नर्स स्वास्थ्य जांच कर रहे
संक्रमण को पहचानने को
पुलिस प्रशासन लगे हुए हैं
सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने को
सफाई कर्मी भी हैं डटे हुए
स्वच्छ माहौल बनाने को
सेनीटाइज किया जा रहा
इनको ले जाने वाले वाहनों को
चालक दल भी लगे हुए हैं
उनको सुरक्षित पहुंचाने को
क्वॉरेंटाइन सेंटर हैं बने हुए
इनको अस्थाई प्रवास कराने को
स्थानीय प्रशासन है लगे हुए
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को
जॉब कार्ड है दिया जा रहा
इन को रोजगार दिलाने को
यह सब लोग है डटे हुए
कोरोना संक्रमण का फैलाव रुकवाने को
कोरोना संक्रमण का फैलाव रुकवाने को l l

रुपेश कुमार
बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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