संदेश
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो - गीत - सुशील कुमार
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो। प्रेम की वंशी अधर से ना बजाते हो॥ राह मे जो तुम कभी माखन चुराते थे, साँझ के ढलते कभी वंशी बजाते…
द्वारिका में बस जाओ - कविता - अंकुर सिंह
वृंदावन में मत भटको राधा, बंसी सुनने तुम आ जाओ। कान्हा पर ना इल्ज़ाम लगे, फिर तुम उसकी हो जाओ। रुक्मिणी, सत्या, जामवंती संग तुम द्वारिक…
होली खेले कान्हा - गीत - प्रवल राणा 'प्रवल'
आज बिरज में होली खेले कान्हा। होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥ कौन के हाथ में देवे पिचकारी, कौन के हाथ गुलाल देवे कान्हा। कान्हा क…
ओ मेरे साँवरे रे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रूप सलोने यशुमति कान्हा, ओ मेरे लला साँवरे रे। मनमोहन गिरिधर नागर तू, लावण्य रूप निहारे रे। लीलाधर बहुरुपिया कान्हा, नंदज तू राजद…
शरद पूर्णिमा - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
यह शरद पूर्णिमा का शशांक, खिल गया तीव्र लेकर उजास। पावन बृजभूमि अधीर हुई, यमुना की लहरों में हलचल। हो गया दृश्य रमणीक रम्य, खिल उठे सर…
राधा-कृष्ण की मीठी झड़प - कविता - गायत्री शर्मा 'गुँजन'
खिली हुई चंपा के जैसे अंग सुकोमल जिसके भाए। नख से शीख तक देख राधिका कृष्ण को तंज कसे ही जाए॥ कहो ऐ बालक! प्रश्न क्यों करते यमुना तट पर…
श्री राधे-राधे रटता हूँ - कविता - अनिकेत सागर
चाहें जिस जगह रहता हूँ, चलता मैं जिस भी पथ पर, नाम तेरा लेना न भूलता हूँ मन में श्री राधे-राधे रटता हूँ। बरसाने वारी ब्रज की दुलारी रा…