संदेश
मधुर स्मृति - कविता - राजेश 'राज'
अत्यंत लघु परन्तु अविस्मरणीय अकीर्तित प्रेम की लंबे अंतराल के बाद एक प्रणय कहानी फिर याद आई। अब भी उतनी ही असहिष्णु, अव्यक्त अल्पजीवी …
तुम हो, तुम्हारी याद है - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम हो, तुम्हारी याद है और क्या चाहिए! दिल में एक जज़्बात है, और क्या चाहिए! हृदय में उमड़ता सागर है, बहते ख़्वाबों के झरने हैं। तुझे …
तोतली ज़ुबान वाला हर्ष - संस्मरण - डॉ॰ शिवम् तिवारी
"तातू, तातू, आ गए मेरे तातू" सर पर बेतरतीब बिखरे बाल, बदन पर पुरानी टी-शर्ट एवं अधफटी नेकर पहने महज़ 5 बरस का बालक हर्ष मुझे …
प्रेम और उसकी यादें - कविता - मयंक मिश्र
प्रेम... वही जिसके सिर्फ़ उदाहरण होते है, क्योंकि प्रेम की नहीं होती हैं परिभाषाएँ! जैसे, मेंढकों को बोलने के लिए ज़रूरी होती है बरसात…
तब याद तुम्हारी आई - कविता - ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'
जब झूमी कहीं बयार घटाएँ नभ में छाईं, तब याद तुम्हारी आई निंदिया की गोदी में सोई स्वप्नो से नाता जोड़ लिया, स्मृतियाँ जागी अंतर की आशा …
यादें - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
है तू नाराज़ तो ये भी सही है। इसी बहाने यादें तेरी आई, यादें जो कई है।। लेकिन, बताया नहीं क्यों नाराज़ है, ये भी अच्छा है, छिपा रहे राज़ …
बड़ा मज़ा आता था - कविता - अखिलेश श्रीवास्तव
बचपन के दिनों में दोस्तों के साथ मिलकर शरारतों को करने में बड़ा मज़ा आता था। बचपन के खेल-खेल में अपने दोस्त की ढीली पैंट नीचे निपकाने …