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विधा/विषय "माँ गंगा"
माँ गंगे - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
रविवार, मई 19, 2024
दुनिया में जब व्यभिचार है तो मैं भला जाऊँ कहाँ, जो तन व मन के कष्ट हैं तेरे सिवा बतलाऊँ कहाँ। तू मातु गंगे पूर्ण है जड़ चेतनों को तारत…
गंगा - कविता - सीमा वर्णिका
सोमवार, जुलाई 26, 2021
भगीरथ की तपस्या का फल, शिव जटाओं के खुल गए बल। गंगा अवतरण हुआ धरती पर, प्रवाहित मोक्षदायी अमृत जल।। गंगोत्री हिमनद नामक गोमुख, गंगा का…
माँ भागीरथी वेदना - कविता - विनय "विनम्र"
बुधवार, जनवरी 13, 2021
है, जय करना बेकार तेरा, अब कचरे का मजधार मेरा, मैं चैन से, स्वर्ग में रहती थी, देवों के अंतस बहती थी, वेदों का होता पाठ जहाँ, सतय…
गंगा मइया - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, नवंबर 30, 2020
अमृत है तेरा निर्मल जल हे! पावन गंगा मइया। हम सब तेरे बालक हैं तुम हमरी गंगा मइया। माँ सब के पाप मिटा दो हे! पापनाशिनी मइया। अब सारे…
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