बादल आओ - कविता - राजेश 'राज'

वर्षा की जलधार लिए
वारि कणों की फुहार लिए
श्यामल बादल आ जाओ
अपना प्रेम उड़ेलो सब पर
सब में जीवन भर जाओ
श्यामल बादल आ जाओ।

वृक्षों की तरुण फुनगियाँ
पर्वतों की धवल चोटियाँ
चूमने को ही सही तुम
उमड़ घुमड़ नीले गगन से
तीव्र वेग से आ जाओ
श्यामल बादल आ जाओ।

सरिताएँ मिलन को आकुल
लताएँ छुअन को व्याकुल
सघन छाया से ढको तुम 
ये तुम्हारी ओर उन्मुख
अब गर्जना से बरस जाओ
श्यामल बादल आ जाओ।

मोर, पपीहा तुम्हें पुकारें
झींगुर दादुर तुम्हें निहारें
लेकर के जलकण असीमित
धरा का आँचल भिगो तुम 
सबकी प्यास शांत कर जाओ
श्यामल बादल आ जाओ।

राजेश 'राज' - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)

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