संदेश
जीवन-राग - कविता - विनय विश्वा
जीवन के कुछ सच जो ना अपना है सब एक सपना है। आना और जाना जीवन के सुख-दुःख खेल-खिलौना सब फूल यहाँ खिले मुरझाए और धम से आकर धरती को चूमें…
सार्थक पुष्प - कविता - विनय "विनम्र"
तन की भूख प्रबल होती है, फूल की कोमल कलियों से, रास राग के घृणित कुकृत्य और अँधेरी गलियों से। बचपन सड़कों पे सबल समाज का कफ़न ओढकर चलता …
सूरजमुखी - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
सूरज की ओर मुँह किए खिल रहे, पीले-पीले सुंदर सूरजमुखी के फूल। भोर की पहली किरण निकलते ही, खिलखिला उठते सूरजमुखी के फूल। शरद रातों में …
मधुबन जैसी उदारता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बन प्रसून खुशबू बिखरा दो, पुष्प हृदय सी विशालता। तालमेल काटो संग सीखो, मधुबन जैसी उदारता। पुष्प सिखाता परिवर्तन को, यही पुष्प की महा…
फूल-सी कलियों को खिलने दो - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
अभी-अभी तो यह खिली है, बहुत ही कच्ची कली है, ना छेड़ो तुम, इन्हेंं निकलने दो, फूल-सी कलियों को खिलने दो। यह सुंदर रूप में खिलेगी, र…
प्यार वो फूल है - कविता - चीनू गिरि
प्यार वो फूल हैं ... जो एक बार खिल जाए तो, उम्र भर महकता रहता हैं !! ये कभी मुरझाता नही, सदाबहार हैं, हर मौसम मे खिला रहता हैं !! मन क…
फूल से पत्थर का संवाद - कविता - ममता शर्मा "अंचल"
इक दिन फूलों से पत्थर की बात हुई बात कहूँ या तानों की बरसात हुई तू है बहुत कठोर, कहा जब फूलों ने साथ दिया फूलों का तीखे शूलों …