संदेश
हर कलम यहाँ शमशीर है - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
अपना हर आँगन नेफ़ा है, हर बगिया कश्मीर है, स्याही की हर बूँद लहू है, हर कलम यहाँ शमशीर है। हम आँगन के रखवारे हैं, औ' बगिया के माली …
हमारी सेना शान हमारी - कविता - गणेश भारद्वाज
हम भारत के सब वासी हैं, सेना अपनी हमको प्यारी। अदम्य शौर्य की प्रतिमूर्ति, इससे ही है शान हमारी। इस सेना के कारण ही हम, रातों को सुख स…
आज़ादी - मुक्तक - इन्द्र प्रसाद
गगन साक्षी शहीदों का मिली कैसे है आज़ादी। चूम फंदे लिए हंँसकर बढ़ाकर बाँह फौलादी। वतन की यज्ञशाला में बनाया हव्य शीशों का, शहीदों के अथक…
मैं भारत की स्वतंत्रता हूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
मैं विमुक्त, नव दिनकर जैसी, मैं भारत की स्वतंत्रता हूँ। नवल दिवस, नव उद्घोषित रव, सप्त सरित की पवित्रता हूँ। मुझमें जन-जन शुभेषणा है,…
सारे जग से प्यारा भारत - कविता - राहुल सिंह 'शाहावादी'
सारे जग से प्यारा भारत, यह सतियों का देश महान। उपजी जहाँ असंख्य शक्तियाँ, परिचित हैं सब देश जहाँन॥ जहाँ जान दी पद्मिनियों ने, कर्म न थ…
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त, शुभ दिन अपना, आया है। स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन, तब जाकर यह, पाया है। ऑंखें भर आती, याद दिलाती,…
राष्ट्र प्रेम - कविता - राजेश 'राज'
सब भारत माँ के सपूत हैं, जाति धर्म में न बँट पाएँ। भारत माता की जय बोलो राष्ट्रधर्म हित सब जुट जाएँ। अनेकता में भरके एकता, जन जन गर्वि…