संदेश
गुरु सृष्टि का वरदान - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
गुरु सृष्टि का सबसे सुंदर वरदान है, बिना गुरु के कहाँ किसी की पहचान है। जान कर, जो न जान पाए, 'सृजन' की नज़रों में वे नादान …
कुंभकार : अध्यापक - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन' | शिक्षक दिवस पर कविता
गीली मिट्टी को गढ़-गढ़ कर, देते बर्तन सा बृहदाकार। अनुपम है योगदान तेरा, है नमस्कार हे कुंभकार। आगे चल कर कोई घड़ा बने, प्याला प्…
गुरु - कविता - अर्चना मिश्रा
गुरु वो हैं जो ग़ुरूर से दूर हैं, हो मुश्किल कितना भी रास्ता देते हल ज़रूर हैं। जो भी मेरी लेखनी की चाल हैं, सब गुरु का ही तो कमाल है…
शिक्षक गढ़ता नव परिवेश - कविता - द्रौपदी साहू
शिक्षक से चलता है देश, शिक्षक गढ़ता नव परिवेश। ज्ञानपुंज से हरता तम क्लेश, शिक्षक ब्रह्मा, विष्णु, महेश॥ नि:स्वार्थ सेवा भाव रखता, बन…
डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - कविता - राघवेंद्र सिंह | शिक्षक दिवस विशेष कविता
धन्य-धन्य वह तिरुत्तनी और, धन्य हुआ वह तिरुपति। जन्मीं जहाँ विलक्षण प्रतिभा, जिसे पवन सी मिली गति। वेदों और उपनिषदों से ही, जुड़ी रही …
शिक्षक - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
ज्ञान के साथ मान बढ़ाए शिक्षक का श्रमदान है। हम सब करते आए ऐसे शिक्षक का सम्मान है। उनके हौसले हिमालय से गहराई सागर समान है। एकलव्य को…
गुरु - कविता - गोकुल कोठारी
सोचो, उसके बिना कैसी होती धरा, अज्ञान की एक गहन कंदरा। मैं भटकता इस तिमिर में कहाँ, जो बनकर उजाला वो आता नहीं, मैं खो जाता इन अँधेरों …