शिक्षक - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'

ज्ञान के साथ मान बढ़ाए शिक्षक का श्रमदान है।
हम सब करते आए ऐसे शिक्षक का सम्मान है।
उनके हौसले हिमालय से गहराई सागर समान है।
एकलव्य को शिक्षक की मूर्ति ने ही बनाया महान है।
बालकों के जीवन में संस्कारों का लाता तू तूफ़ान है।
तेरी जिह्वा पर विराजित माँ सरस्वती महान है।
बगैर तेरे शिष्यों का जीवन भी हो जाता वीरान है।
तुझसे ही तो बनती शिष्यों की ध्रुव सी पहचान है।
राधाकृष्णन जैसे शिक्षक से ही शिष्य बनता विद्वान है।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश और परमब्रह्म सी तेरी पहचान है।
कुसंस्कारों को मिटा संस्कारों से भरता तू जहान है।
स्वयं सदा दीपक सा जल करता दूर अज्ञान है।
गोविन्द से भी पहले शिक्षक को सब करते प्रणाम है।
तू ही भाग्य विधाता बन करता भविष्य निर्माण है।
ऐसे विद्वान शिक्षक से राष्ट्र को मिलती नई पहचान है।
तेरे त्याग समर्पण से ही तो बने अनेक शिष्य महान है।
भविष्य निर्माण की शीला रख तू पाता उच्च स्थान है।
ऐसे प्रबुद्ध शिक्षकों को करते नमन हम बारम्बार है।

डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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