गुरु सृष्टि का वरदान - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'

गुरु सृष्टि का 
सबसे सुंदर
वरदान है,
बिना गुरु के 
कहाँ किसी की
पहचान है।
जान कर, 
जो न जान पाए,
'सृजन' की नज़रों में
वे नादान है।
न जाने कितने हैं 
इनके रूप,
मात-पिता बनकर 
सदा देते ये
ज्ञान की धूप।
द्रोणा ने अर्जुन बनाया,
चाणक्य ने चंद्रगुप्त,
साक्षात ब्रह्म का रूप है गुरु
तू अब तक क्यों अनजान है।

डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन' - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos