संदेश
विधा/विषय "गर्मी"
ग्रीष्म ऋतु - कविता - अनिल कुमार
सोमवार, मई 09, 2022
किसी अबला के कपोलों पर शुष्क आँसुओं की लकीरों जैसे नदियाँ शुष्क कुछ गीली पड़ी है अंखियों में आँसू रीत गए जैसे तड़ाग खाली, सूखे-नीरस पड…
देह अगोचर - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
गुरुवार, मई 05, 2022
हरियाली की देह अगोचर पात लगे झरने। पड़ता लू का पेड़, पत्ते, फूल पर साया। आग हुई सूर्य किरण बहुत क़हर बरपाया।। नदिया, झरने, ताल लगे हैं…
चिलचिलाती धूप - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बुधवार, मई 04, 2022
इस चिलचिलाती धूप ने जीना किया दुश्वार है। गर्म लू जलती फ़िज़ाएँ, हर तरफ़ अंगार है। आँधियाँ लू के थपेड़े, मन बदन बेज़ार है। पेट के ख़ातिर सभ…
प्यास वाले दिन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
शुक्रवार, अप्रैल 08, 2022
लगे सताने झोपड़ियों को भूख औ प्यास वाले दिन। धूप है दिवस को कचोटने लगी। जब-तब लू हवा को टोंकने लगी।। जीवन में जबकि देखे हैं कड़वे अहसा…
गर्मी की छुट्टियाँ - संस्मरण - मंजिरी "निधि"
गुरुवार, जून 17, 2021
आज विद्यालय में वार्षिक परिणाम लेने जाना था। हरे गुलाबी रंग के गत्ते पर परिणाम मिलते थे। वह परिणाम क्या है क्या नहीं कोइ मतलब नहीं हुआ…