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विधा/विषय "कुदरत"
रचयिता - कविता - मयंक द्विवेदी
शनिवार, दिसंबर 16, 2023
पटल दृष्टि चाँद तारों जिस प्रभु को पढ़ लिया, सृष्टि के रचयिता ने कण-कण से जग गढ़ लिया। प्रचण्ड भास्कर किरन है तो चन्द्र शीतल है बना, कही…
क़ुदरत की चिट्ठी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, जून 07, 2021
हे! इंसान हे महामानव!! तुम्हें एक बात कहनी थी। मैं क़ुदरत, लिख रही हूँ, आज एक ख़त तुम्हारे नाम। मैं ठहरी तुम्हारी माँ जैसी, जो अप्रतिम प…
हुकूमत को तेरी कुदरत समझ ना आज तक पाये - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शनिवार, मई 16, 2020
हुकूमत को तेरी कुदरत , समझ ना आज तक पाये कहीँ इक इक निवाले को , बहुत से लोग तरसे हैं । कहीँ तो अन्न के पूरे भरे गोदाम…