संदेश
धीरज न खोना - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
कोरोना है कर रहा, अब ताण्डव बिकराल। रूप बदल कर ज्यों यहाँ, नाच रहा है काल।। नाच रहा है काल, परी है मारा-मारी। मानवता लाचार, हुई है ज्य…
धनुष बाण ले हाथ - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
अभिनंदन प्रभु राम जी, जग के पालन हार। अवध धाम पुनि आइए, राघवेन्द्र सरकार।। राघवेन्द्र सरकार, कृपा भक्तों पर करिए। रोग, शोक, संत्रास, स…
अमर हुए जाँबाज़ - कुण्डलिया छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
सुकुमा की धरती हुई, आज रक्त से लाल। परिजन सारे रो रहे, होकर के बेहाल।। होकर के बेहाल, तड़पते घायल सैनिक। ज़ालिम चलते चाल, हया भी आज गई ब…
प्रदूषित रक्त - कुण्डलिया छंद - डॉ. अवधेश कुमार अवध
रक्त प्रदूषित हो गया, रिश्ते बिकते हाट। षड्यन्त्रों की तुला पर, घटते-बढ़ते बाट।। घटते - बढ़ते बाट में, रिश्तों की औकात। दिशा हवा की देख…
नशा - कुण्डलिया छंद - डॉ. अवधेश कुमार अवध
पीते-पीते कह गया, होती बहुत ख़राब। दूर रहो इससे अवध, कहते जिसे शराब।। कहते जिसे शराब, शराफ़त की है दुश्मन। सरेआम बदनाम, कराती द्वारे-आँग…
मित्रता - कुण्डलिया छंद - प्रवीन "पथिक"
जीवन में ग़म बहुत है, लेकिन है इक बात। सारे ग़म कट जाते हैं, यदि हो मित्र का साथ। यदि हो मित्र का साथ, सुख दुःख में काम आए। धैर्य, …