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विधा/विषय "उम्र"
उम्र जाया कर दी यूँ ही - ग़ज़ल - कर्मवीर सिरोवा
गुरुवार, जनवरी 28, 2021
सारी उम्र जाया कर दी यूँ ही पढ़ने पढ़ाने में, मुठ्ठीभर लम्हात हसीं थे जो गुज़रें मुस्कराने में। खेल के मैदान में वो चंद नाम क्या ख़ूब थे, …
उम्र का फर्क - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद
गुरुवार, जुलाई 30, 2020
बच्चे बड़े हो जाते हैं, ख़्याल उनके फिर बदल जाते हैं, दुनिया लगती है मुट्ठी में, उसी को बदलने लग जाते हैं, कोई समझाये उनको कुछ तो ल…
विशेष रचनाएँ
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