सिन्दूर के बदले - कविता - पवन कुमार मीना 'मारुत'
सोमवार, जून 09, 2025
युद्ध यादें दे जाता है
कड़वी-कड़वी यादें।
ले जाता है साया
दुधमुँहें बच्चों के सिर से बाप का।
और दे जाता है सिन्दूर के बदले
हँसती-मुस्कुराती औरतों को सफ़ेद साड़ी।
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