आँधी आई है - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
रविवार, जून 08, 2025
बदहवास सा मौसम लगता
आँधी आई है।
बेमौसम है
पानी बरसा।
कुँआ-ताल है
जल को तरसा॥
शाकिनी-डाकिनी जैसी
लगती मँहगाई है।
सदाचार का
टोटा है अब।
माल बहुत ही
खोटा है अब॥
प्रेमी ने प्रेयसी की
ज्यों पकड़ी कलाई है।
टाइम बहुत
बुरा लगता है।
इंसाँ-इंसाँ को
ठगता है॥
ठगी-ठगी-सी है वो
शायद धोखा खाई है।
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