मेरी अधूरी कविताएँ - कविता - रामानंद पारीक

मेरी अधूरी कविताएँ - कविता - रामानंद पारीक | Hindi Kavita - Meri Adhoori Kavitayen - Ramanand Pareek. अधूरी कविता पर कविता
वो झाँकती हैं, डायरी के पन्नों से
और ताकती है, मेरी क़लम और शब्दों को...
अपने अधूरेपन की दुहाई देती,
बार-बार बुलाती है मुझे...
बहुत अरसे से मिला नहीं मैं उनसे,
या शायद मिला नहीं मैं ख़ुद से...
बेबस सा, बस मैं...
अपनी व्यस्तताओं के बहाने,
बना रखी है दूरियाँ उनसे...
अपराधबोध सा मैं...
नज़र नहीं मिला पा रहा हूँ, ख़ुद से...
देता रहता हूँ दिलासा उनको,
या कि ख़ुद को झूठी तसल्ली,
कि कल से बदल दूँगा ख़ुद को
और सम्भालूँगा तुम्हें...
पर वह कल, आज में तब्दील तो हो...
मलाल है मुझे, उनके अधूरेपन का
या अफ़सोस मुझे कि मैं अभी कुछ बन नहीं पाया...
और सपनों के लिए जिया नहीं...
ये अधूरी कविताएँ नहीं,
अधूरे सपने हैं मेरे...
जो सोने भी नहीं देते चैन से मुझे...
थक सा गया हूँ, मगर टूटा नहीं...
निराश हूँ थोड़ा, मगर हारा नहीं...
यक़ीन है मुझे, फिर से क़लम उठाऊँगा..
और कर दूँगा मुकम्मल
मेरी अधूरी कविताओं को।
                
रामानंद पारीक - चुरू (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos