शुक्ला आश्विन मंगला, शारदीय त्यौहार।
नव दुर्गा आराधना, कीर्ति मिले सुख सार॥
अभिनन्दन स्वागत करें, नवरात्रि त्यौहार।
पूजन नित नवशक्ति से, मानवता उपकार॥
नीति प्रीति सुख संपदा, परहित शान्ति सम्मान।
नवदुर्गे नवरात्रि में, दे सम्बल वरदान॥
सबसे सबकी बन्धुता, हो संस्कृति अभिमान।
शैलपुत्री तू कृपा कर, सदा राष्ट्र सम्मान॥
सबसे सबकी बन्धुता, निज संस्कृति अभिमान।
राष्ट्र विरोधी अरि दलन, बढ़े भारती शान॥
कलश स्थापना सविधि कर, आवाहन जगदम्ब।
शैलपुत्री मातु प्रथम, राष्ट्र शक्ति अवलम्ब॥
ब्रह्मचारिणी सिद्धि दे, नीति प्रीति समदृष्टि।
नित विवेक सद्ज्ञान से, ज्योतिर्मय हो सृष्टि॥
ब्रह्मचारिणी तू शिवा, त्यागमूर्ति सत्काम।
आज कुपथ तव सन्तति, करे वतन बदनाम॥
कुष्माण्डा जगदम्बिके, हरो शोक अभिमान।
अज्ञान तम फैला धरा, दो प्रकाश मति ज्ञान॥
तारक का संहार कर, स्कन्धमातु जग त्राण।
नाश करो प्रसरित असुर, करो जगत कल्याण॥
किया एक हुंकार से, धुम लोचन संहार।
करो भक्ति कात्यायिनी, सकल पाप से पार॥
चामुण्डे वरदायिनी, कालरात्रि विकराल।
रक्तबीज के रक्त पी, है भारत बेहाल॥
माँ गौरी अवतार में, शुम्भासुर संहार।
रिद्धि सिद्धि बल बुद्धि दे, सिद्धिदातृ उपहार॥
कवि निकुंज माँ प्रार्थना, हर आतंकी पाप।
अन्तर्बहि सम शान्ति दे, मिटे राष्ट्र अनुताप॥
सभी सभी का मित्र हो, जीवन हो नवनीत।
सुखी ख़ुशी यश सम्पदा, शारदीय जय गीत॥
जय माता दी वन्दना, पूजन जय जयकार।
दया करो जगदम्बिका, तुम हो करुणागार॥