ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति दो।
ज्योतिर्मयि हे मातु भवानी, चरणों में अनुरक्ति दो॥
विश्व रचयिता हे जगदम्बा, सारे विद्याओं की ज्ञाता।
सफल करो जीवन हे अम्बे, कृपा करो याचक हूँ माता॥
त्याग और वैराग्य बढ़ाओ, चरणों की माँ भक्ति दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति दो॥
तपश्चारिणी, धर्मचारिणी, ब्रह्मशक्तिमयी हो माता।
माल कमंडलु शोभित माते, सदविवेक नर तुमसे पाता॥
महादेवि हे जगजननी माँ, सधे भक्ति वह युक्ति दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति दो॥
संयम सेवा सदाचार को, जीवन का आधार बना दो।
दुःख कष्टों से मुक्ति मिले माँ, शान्तिमयि संसार बसा दो॥
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे, भव बंधन से मुक्ति दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति दो॥