तिमिर फैले धरा पर जहाँ-जहाँ,
स्नेह लौ से दीप जलाए जाते।
खिलखिलाते यह धरा चहुँओर,
प्रेम पुष्प के पौधे लगाए जाते।
करुणा की इत्र महकते धरा से,
वन उन्मूलन रोक वृक्ष बचाए जाते।
धरा की शोभा स्वर्ग सा दिखते,
प्रकृति संग दुखड़ा सुलझाए जाते।
सहनशील हमारी धरती माता,
जन जन इनकी चीत्कार सुनाए जाते।
धरा पर करते अत्याचार मानव की,
दृश्य दिखा जन-जन जगाए जाते।
वैश्विक तापमान की संकट से,
अगर वृक्ष लगा धरती बचाए जाते।
निश्चय प्रेम प्रकृति का धरा पर,
हर जीवन तक लाए जाते।
राजेन्द्र कुमार मंडल - सुपौल (बिहार)