मातृभूमि - कविता - योगेंद्र पांडेय

फिर से ग़ुलामी की न, बेड़ियों में बाँध सके,
भारत माँ पूर्ण, स्वाभिमान माँग रही है।
सबके ज़बान पर, अंकित हो इतिहास,
जन गण मन वाली, गान माँग रही है।
देश के लिए जिएँगे, देश के लिए मरेंगे,
ज़िन्दगी हमारी, वरदान माँग रही है।
जागो अब हिन्द के, जवान तुम जाग जाओ,
मातृभूमि तेरी, बलिदान माँग रही है॥

योगेन्द्र पांडेय - सलेमपुर, देवरिया (उत्तर प्रदेश)

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