अब हम शहर में हैं - कविता - रमाकान्त चौधरी

होते थे सौ मन गेंहूँ सौ मन धान
तमाम दलहन तिलहन
बड़ा सुकून था गाँव में। 

गाँव का बड़ा खेत बेचकर
एक छोटा प्लॉट ख़रीदा शहर में
अब हम शहर में हैं।

रमाकांत चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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