जन्मों-जन्मों तक - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'

रहे जीवन में ऐसी हलचल,
चाँद की तरह बढ़ता रहे पल पल।
ना हो दुखों से कभी तेरा सामना,
माँगूँ मैं तो रब से यही कामना।

जन्मों-जन्मों तक जन्मदिन
मनता रहे,
जय हो तेरी जय!
ख़ुशियों से तू पलता रहे।

पड़ जाए छोटी हर वो बाधा,
मिले प्यार इतना, ज़्यादा से ज़्यादा।
कहने सुनने वाले सब कह जाए,
जय हो तेरी जय!
आशीर्वाद ये भी कम रह जाए।

जीवन के विशेष पलो में तू विशेष हो,
मिटने के बाद बचे जैसे अवशेष हो।
ना रहे कमी कोई जीवन में तेरे,
गाए चाँद सितारे भी गुण तेरे।

कुछ ऐसा ही मेरा सपना है,
क्योंकि
जीवन का अंश तू मेरा अपना है।

जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद' - छावनी टोंक (राजस्थान)

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