राकेश कुशवाहा राही - ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
माँ तेरा सहारा - कविता - राकेश कुशवाहा राही
सोमवार, सितंबर 26, 2022
माँ तेरा जो एक सहारा हो जाए,
तो यह मेरा जीवन सफल हो जाए।
धन-वैभव सुख की मुझे चाह नहीं,
बस तेरा दिव्य रूप साकार हो जाए।
भटकता रहा है चहुँओर मन मेरा,
भक्ति मे मन सदा चकोर हो जाए।
सुन ले पुकार हे! ममतामयी माता,
मेरे मन का भय सदा दूर हो जाए।
मैं अबोध बालक तू ही मेरी जननी,
तेरी कृपा से सब मेरे कष्ट दूर हो जाए।
माँ तेरे दर्शन को बड़ा विह्वल है 'राही'
हो जाए दरश तो भव सागर पार हो जाए।
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